"भिज्ञ-अनभिज्ञ"
कौन हूं? क्या हूं ??
कुछ ज्ञात नहीं
अज्ञात नाम ???
शायद अपना नहीं
जोड दिया गया है
मेरे साथ
कहीं से उठा कर
या फ़िर चुरा कर
अनजाना अस्तित्व,
वस्तुत:स्थापना नहीं
पर पाऊं कहां
स्वत्व अपना -
खोजता फिरता हूं
यहां,वहां,जहां,तहां!
लगता है
कहां - कहां से
बीत जायेगा जीवन
आजीवन खोजता ही रहूंगा
अस्तित्व अपना
बोध होगा
अपनत्व मेरी रिक्ति का
दुनिया को जब,
तब मैं न होऊंगा
होगा मेरा अस्तित्व -
पर मैं अनभिज्ञ ही रहूंगा!!
कौन हूं? क्या हूं ??
कुछ ज्ञात नहीं
अज्ञात नाम ???
शायद अपना नहीं
जोड दिया गया है
मेरे साथ
कहीं से उठा कर
या फ़िर चुरा कर
अनजाना अस्तित्व,
वस्तुत:स्थापना नहीं
पर पाऊं कहां
स्वत्व अपना -
खोजता फिरता हूं
यहां,वहां,जहां,तहां!
लगता है
कहां - कहां से
बीत जायेगा जीवन
आजीवन खोजता ही रहूंगा
अस्तित्व अपना
बोध होगा
अपनत्व मेरी रिक्ति का
दुनिया को जब,
तब मैं न होऊंगा
होगा मेरा अस्तित्व -
पर मैं अनभिज्ञ ही रहूंगा!!
5 Comments:
...
तब मैं न होऊंगा
होगा मेरा अस्तित्व -
पर मैं अनभिज्ञ ही रहूंगा!!
-बहुत उम्दा भाव!!
wah jee wah! narayan narayan
Behad sundar!
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
मैं कौन हूंं ? जो स्वयं से इस सवाल को नहीं पूंछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बन्द ही रह जाते है। उस द्वार को खोलने की चाबी यहीं हैं कि स्वयं से पूछो, `` मैं कौन हंंू ? ´´ और जो तीव्रता से, समग्रता से अपने से यह सवाल पूछता हैं, वह स्वयं ही उत्तर भी पा जाता है।
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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