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Friday, July 17, 2009

www.blogvani.com चिट्ठाजगत
"पुल"

मेरे तुम्हारे बीच
भावनाओं का पुल
कच्ची रेत सा ढह गया !
बस, सागर सी
उमड़ती-घुमड़ती लहरों का
तूफान रह गया !!
न वो सेतु ही रहा
न वो भावना ही
स्वार्थ की रेल-पेल में
सारा जीवन बह गया !
- डा0अनिल चडडा

1 Comments:

Blogger संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर !!

July 17, 2009 at 12:25 PM  

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