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Wednesday, September 23, 2009

www.blogvani.com चिट्ठाजगत
"रोना"
हँसता रहा
तो सब आये
रोना पड़ा
अकेला था
मैं भी अकेला
तू भी अकेला
जग सारा ही अकेला था
मैं भी रोया
तू भी रोया
जग सारा ही रोया था
किसके लिए पर
कौन कह यहाँ रोया था
मैं समझा था
मेरे लिये तो
कोई यहाँ पर रोया है
अज्ञान था वो सब
सारा जन्म
मैंने जो बोझा ढ़ोया था
कौन बनेगा ढ़ोने वाला
सोच के वह यूँ रोया था !