"पुल"
मेरे तुम्हारे बीच
भावनाओं का पुल
कच्ची रेत सा ढह गया !
बस, सागर सी
उमड़ती-घुमड़ती लहरों का
तूफान रह गया !!
न वो सेतु ही रहा
न वो भावना ही
स्वार्थ की रेल-पेल में
सारा जीवन बह गया !
- डा0अनिल चडडा
मेरे तुम्हारे बीच
भावनाओं का पुल
कच्ची रेत सा ढह गया !
बस, सागर सी
उमड़ती-घुमड़ती लहरों का
तूफान रह गया !!
न वो सेतु ही रहा
न वो भावना ही
स्वार्थ की रेल-पेल में
सारा जीवन बह गया !
- डा0अनिल चडडा